Tuesday, 25 September 2018

भ्रष्टाचार एक जहर की तरह है

भ्रष्टाचार एक जहर की तरह है जो देश, संप्रदाय, और समाज के गलत लोगों के दिमाग में फैला हुआ है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिये सामान्य जन के संसाधनों की बरबादी और दुरुपयोग किया जाता है। इसका संबंध किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गैरजरुरी और गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी संस्था ही क्यों ना हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ता है। यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का एक बड़ा कारण बन गया है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से राष्ट्र के प्रगति और विकास में भी  बाधा उत्पन्न करता है।

आज के समय में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या बन चुका है, यदि हमने समय रहते इसे रोकने का प्रयास नही किया तो यह देश को आर्थिक तथा सामाजिक रुप से खोखला कर देगा। यही कारण है कि देश के अच्छे तथा स्वच्छ विकास के लिए भ्रष्टाचार को रोकना बहुत ही आवश्यक है।

भ्रष्टाचार से व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति, शक्ति और सत्ता का गलत इस्तेमाल अपनी आत्म संतुष्टि और निजी स्वार्थ की प्राप्ति के लिये करता है। इसमें सरकारी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर लाभ पाने की कोशिश की जाती है। भ्रष्टाचार की जड़े समाज में गहराई से व्याप्त हो चुकी है और लगातार फैल रही है। ये कैंसर जैसी बीमारी की तरह है जो बिना इलाज के खत्म नहीं होगी। इसका एक सामान्य रुप पैसा और उपहार लेकर काम करने के रुप में दिखाई देता है। कुछ लोग अपने फायदे के लिये दूसरों के पैसों का गलत इस्तेमाल करते हैं। सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले भ्रष्टाचार में लिप्त होते है और साथ ही अपनी छोटी सी इच्छाओं की पूर्ति के लिये किसी भी हद तक चले जाते है।

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